Yamuna Water Agreement: पीकेसी-ईआरसीपी मुद्दे के समाधान के बाद राजस्थान को जल्द ही एक और अच्छी खबर मिलने वाली है। दरअसल, यमुना जल समझौते के तहत राजस्थान को 577 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिला, इसके लिए जल शक्ति मंत्रालय सक्रिय हो गया है।
दिल्ली में हस्ताक्षरित एमओयू के आधार पर आगे बढ़ने के लिए दोनों राज्यों राजस्थान और हरियाणा के बीच इस महीने एक बैठक होने की संभावना है। मंत्रालय की सक्रियता का एक कारण यह है कि यमुना के पानी के लिए एक संयुक्त डीपीआर बनानी है, जिसके लिए राजस्थान ने एक टास्क फोर्स का गठन किया है, लेकिन हरियाणा अटकाए बैठा है।
दोनों राज्यों में BJP की सरकार: Yamuna Water Agreement
हालांकि, अभी नई सरकार का गठन हुए काफी समय निकल चूका है। सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार पीकेसी-ईआरसीपी की तरह यमुना जल परियोजना पर विवाद को हल करने की कोशिश कर रही है। दोनों ही राज्यों में भाजपा की सरकार है।
Yamuna Water Agreement
30 साल पुराने जल समझौते के विवाद को इस साल 17 फरवरी, 2024 को हल करने का दावा किया गया था। विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने के लिए आज नई दिल्ली में राजस्थान और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। राजस्थान सरकार ने पहले ही 14 मार्च को अधिकारियों का एक कार्यबल गठित कर दिया है।
इतनी लंबी होगी पाइपलाइन: Yamuna Water Agreement
– चुरू, सीकर और झुंझुनू जिलों को पानी की आपूर्ति होगी।
– इस परियोजना की अनुमानित लागत 20 करोड़ रुपये है। हालांकि, डीपीआर तैयार होने के बाद स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। सड़क की लंबाई 263 किलोमीटर है।
– हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज (ताजवाले हेड) को 577 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलेगा।
– अगर ताजेवाला हेड से चुरू के हसियावास गांव तक सीधी जल लाइन बिछाई जाती है तो इस मार्ग की लंबाई 263 किलोमीटर होगी। इसके लिए 342 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण करना होगा और 631 हेक्टेयर भूमि का आंशिक अधिग्रहण किया जाएगा। Yamuna Water Agreement